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Himachal Pradesh : - डायना पार्क नाम सुनते ही
ऐसा लगता है जैसे यह किसी पार्क का नाम है, लेकिन
यहाँ कोई पार्क नहीं है। डायना पार्क को
यह नाम डायनों से मिला है। यह स्थान डायनों के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह के बारे
में कहा कहा जाता है कि किसी समय
यहाँ डायनें रहती थीं और जादू टोने से सम्बंधित क्रियाकलाप करती थीं। आजकल भी, कहा जाता है
कि यहाँ हर साल डायनों का मेला लगता है। मेले के दौरान यहाँ के पहाड़ी देवताओ और
डायनों के
बीच अदृश्य युद्ध होता है। इस जगह को घोघर धार के नाम से भी जाना जाता है।
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डायना पार्क एक ऊँची पहाड़ी
पर बने एक चौराहे पर स्थित है। यह जगह जिला
मण्डी की पद्धर तहसील के अंतर्गत आती है। इस
चौराहे से पधर, झटींगरी, थल्टूखोड़, बरोट, लुहारढी, डायनासर झील आदि स्थानों का आरंभ स्थान है। ये सभी
स्थान घूमने फिरने के लिए अच्छे हैं। डायना पार्क में ही वन विभाग
का रेस्ट हॉउस है, साथ ही चाय पानी के
लिए एक दुकान है। यहाँ कम
ही घर बने है लेकिन फिर भी दिन भर यहाँ काफी ट्रैफिक रहता है
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यहाँ से कुछ ही दूरी पर प्रसिद्ध, हिमरी गंगा नामक पवित्र स्थान है। यहाँ प्राकृतिक जल स्त्रोत हैं। इस जल स्त्रोत का जल बहुत साफ़ व् निर्मल है। यहाँ से उत्पन्न जल धारा को गंगा का रूप माना गया है।
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यहाँ हर वर्ष
20 भादों के दिन मेला लगता है जिसमें काफी दूर दूर से लोग
आते हैं और यहाँ के पवित्र जलकुण्डों में
स्नान करते हैं। इस पवित्र जल धारा में स्नान करने लिए स्त्रियाँ संतानप्राप्ति के
उद्देश्य से भी जाती हैं। हिमरी गंगा से
निकला पानी जल प्रपात के रूप में पठानकोट - मण्डी राष्ट्रीय महामार्ग में नारला
नामक स्थान में गिरता है
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डायना पार्क, और हिमरी गंगा दोनों ही ऐतिहासिक और प्रसिद्ध स्थान
हैं। ये दोनों ही स्थान देखने योग्य हैं। यहाँ
साल भर कभी भी आया जा सकता है। यहाँ हर
मौसम सुहाना होता हैं। मण्डी शहर से कटिंढी गाँव से होकर या फिर पधर नाम के कसबे
से होकर यहाँ पहुंचा जा सकता है। पधर नाम का यह क़स्बा मण्डी -जोगिन्दर नगर
राष्ट्रीय महामार्ग पर स्थित है
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiVOoJBZ2RafQthoF4UQexnPkOVOH3wPXPxiiK_A8LZGPvtIdbjuNZmrBQjblau_j-27EWRVX1dHSEHh0beUAZUT2qxFFo8oK-mCpMP_dQlpgRdYfFw4wOkW6N_eYwsVIBsiz8yjVEYU_v_2oDJO_U0OP1vXpecoN9ro4ofHe1nGzJBm8C0CSo0vhbICErh/s1600/download%20(7).jpg)
घोघड़धार में देवों और डायनों के मध्य युद्ध होता है. यहाँ युद्ध का स्थान भी चिन्हित है, युद्ध के समय कोई भी उस स्थान में नहीं जाता है. किवदंती के अनुसार भादों का महीने को काला महीना भी कहा जाता है. इस माह के दौरान देवता युद्ध में चले जाते हैं तथा जादू टोना हावी हो जाता है.
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घोघर धार
में चल रहे युद्ध का परिणाम नवरात्रों में देवी देवताओं के गुर या पुजारी बताते
हैं अगर देवताओं की जीत हो तो सारा साल सुखमय रहता है तथा अगर बुरी शक्तियाँ जीते
तो आने वाले साल में आपदा आती है. मंदिरों में रात भर होम का आयोजन होता है तथा
पुजारी अंगारों पर खेलकर भक्तों पर आई बला को टालते हैं।
खबर खास TV के लिए मुनीष ठाकुर की रिपोर्ट
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