हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के अंतर्गत सरयोल सर रहस्यमय झील है। इस रहस्मय झील में आजतक जिसने भी पानी में उतरने की कोशिश की है उसकी मौत हो जाती है। साथ ही इस झील की सफाई एक चिड़िया करती है। झील को बूढ़ी नागिन के नाम से भी जाना जाता है। यह झील समुद्रतल से लगभग 10,500 फुट ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ सर्दियों में बर्फ पड़ती है। इस जगह की यात्रा चैत नवरात्रों से नवंबर के बीच की जाती है।। इस झील में एक बूढ़ी नागिन का आराम स्थान भी है। इसके लिए कहा जाता है कि यह नागिन मक्खन व घी खाकर जिंदा है। मान्यता के अनुसार झील के अंदर एक महल बना हुआ हैं, जो इस बूढ़ी नागिन का है। यहाँ नागीन के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं जा सकता है, क्योकि अगर कोई उस झील में नहाने उतरता है तो उसकी मृत्यु हो जाती है. इसलिए यहाँ लोगो को नहाने से रोका जाता है। इस झील के चारों तरफ घी की धार निकलने की बात कही गई है. इसलिए इस झील को चारो तरफ से देसी घी की धार अर्पण भी करने की पंरपरा है. यहाँ के निवासी अपनी गाय के घी को बूढी नागिन को दिए बिना इसका सेवन नहीं करते है। झील के पानी की सफाई यहाँ की एक काले रंग चिड़िया आकर करती है। एक चिड़िया इस झील को साफ़ रखती है। झील के पानी में किसी भी तरह की गन्दगी तैरती हुई नहीं दिखाई देती क्योकि चिड़िया उसको उठाकर बहार फेक देती है। इस चिड़िया का नाम आबी है और यह इस झील के आसपास ही रहती है। इस झील में जो पानी है वह समय और पहर के अनुसार अपने रंग में परिवर्तन कारता है। इस झील का पानी कभी नीला, कभी हरा, तो कभी काले रंग का दिखाई देता है. सामान्य रूप से पारदर्शी रंग में चमकता रहता है। हर साल बर्फबारी के दिनों में इस मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं जिन्हें बैसाख संक्रांति के दिन खोला जाता है।
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